सागर । बालिका के साथ छेडछाड़ एवं मारपीट करने वाले अभियुक्त राजुल सिंह भदौरिया को भादवि की धारा- 354 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, 354-क के तहत 01 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा-452 के तहत तीन माह का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड धारा-323 के तहत तीन माह का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पॉक्सो एक्ट की धारा-7/8 के तहत तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा तथा एस.सी./एस.टी एक्ट की धारा-3 (1)(डब्ल्यू)(आई) व धारा-3(2)(व्ही-ए) के तहत 03-03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत नेे दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/पीड़िता ने दिनांक 13.08.2021 को थाना छानबीला़ में इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 11.08.2021 को शाम करीब 6.00 बजे उसकी भाभी को बुखार चढ़ा था तो उसकी मॉ के कहने पर वह, उसके भाई को बुलाने उसके चाचा के घर गयी थी लेकिन वहां उसके भाई के न मिलने पर वह घर वापस आ रही थी तो रास्ते में अभियुक्त राजुल मिला तथा उसने बालिका का बांया हाथ बुरी नियत से पकड़ लिया और छेड़छाड करने लगा तो बालिका ने उसका हाथ झटककर छुड़ाया तो अभियुक्त ने बालिका के गाल में थप्पड ़ मार दिये फिर वह छूटकर वहां से भागी तो अभियुक्त भी पीछे से आ गया तब वह पड़ोस के घर में घुस गई तो अभियुक्त ने वहां भी बालिका को डंडा मारा जो उसकी बायें हाथ की कलाई में लगा जिससे सूजन आ गयी। पीड़िता की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोगों ने आकर उसे बचाया फिर अभियुक्त उल्टी सीधी गाली देते हुये भाग गया। उसके बाद बालिका ने उसकी मॉ व उसके चाचा के साथ थाना जाकर रिपोर्ट की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-छानबीला़ द्वारा धारा- 354, 354-घ, 506 भा.दं.सं., धारा-8/12, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012एवं धारा 3(1);डब्ल्यू),3(1)(द),3(1)(ध) अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै
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