बैंक अकाउंट खरीदने बेचने वाला गैंग : ऑनलाइन ठगी के लिए करते है खाते का इस्तमाल

बैंक अकाउंट खरीदने बेचने वाला गैंग : ऑनलाइन ठगी के लिए करते है खाते का इस्तमाल 

मध्यप्रदेश के जबलपुर में बैंक अकाउंट खरीदने-बेचने वाला गैंग एक्टिव है। इन खातों का उपयोग ऑनलाइन ठगी के लिए किया जाता है। इसकी कीमत दो हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक है।
जबलपुर पुलिस ने दो दिन पहले इस गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गैंग के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि गैंग को झारखंड के जामताड़ा से दो लोग ऑपरेट कर रहे हैं। आरोपी मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों के करीब 150 से ज्यादा खातों को खरीदकर फर्जी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर चुके हैं। पुलिस अब जल्द ही जामताड़ा जाएगी।

दैनिक भास्कर ने कड़ी से कड़ी जोड़ी। पुलिस अफसरों से बात कर पता किया कि कैसे गिरोह का खुलासा हुआ। आरोपियों ने पूछताछ में अभी तक क्या खुलासा हुआ है। आरोपी किस तरह गैंग चलाते थे। तीन शिकायतों की जांच में हकीकत सामने आई

1- एक लाख का ट्रांजेक्शन, पता ही नहीं चला

कुंडम थाने में अरविंद सिंह मार्को ने 10 जुलाई को शिकायत की। बताया- उसके एसबीआई बैंक अकाउंट से एक लाख रुपए का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हुआ। उसके खाते से यह रुपए तिलवारा थाना क्षेत्र के शाहनाला के रहने वाले आशीष कोरी के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। करीब दो महीने बाद जब पासबुक में एंट्री कराने पहुंचा, तब इसका पता चला, जबकि उसने यह ट्रांजेक्शन नहीं किया है।

2- लोन तो मिला नहीं, ट्रांजेक्शन हो गया

इसी थाने में 18 जनवरी 2024 को गुप्तेश्वर के रहने वाले रोहित धोटे ने शिकायत की कि अजीत बेन नाम के शख्स ने लोन दिलाने के नाम पर उसकी एसबीआई बैंक पासबुक, एटीएम व मोबाइल नंबर ले लिया था। काफी दिन तक लोन नहीं मिला। बैंक में जाकर पूछा, तो पता चला कि खाते में बिना जानकारी अनाधिकृत रूप से लाखों
रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है।

3- लोन दिलाने के नाम पर पासबुक, एटीएम लिया

गोरखपुर थाने में ही तुषार झारिया ने शिकायत की। बताया- हेमंत पिल्ले नाम के शख्स ने लोन दिलाने के लिए उसका व उसकी मां रेखा झारिया की एसबीआई बैंक पासबुक, एटीएम ले लिया था। लोन नहीं मिलने पर बैंक से नई पासबुक लेने गए, तो पता चला कि उनके खातों से भी लाखों का लेन-देन हुआ है। पुलिस ने तीनों केस को गंभीरता से लिया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 406, 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। 
दोनों आरोपी फरार
अकबर अहमद और सलीम, निवासी जामताड़ा झारखंड

एक को पकड़ा, तो हुआ खुलासा

मामला साइबर पुलिस के पास पहुंचा। पहले अरविंद सिंह की शिकायत पर जांच शुरू की। पुलिस ने आशीष कोरी (24) को हिरासत में लिया। पूछताछ में आशीष ने बताया कि त्रिपुरी चौकी में रहने वाले पीयूष खटीक (21) को उसने खाता 5 हजार रुपए में बेचा था। उसकी निशानदेही पर पीयूष को पकड़ा। पुलिस ने पीयूष को पकड़ा, तो आरोपियों की चेन लंबी होती गई। वरिष्ठ अधिकारियों को लगने लगा कि ये अंतरराज्यीय गिरोह है, जो कि बैंक खातों को खरीदने- बेचने का काम करता है।

एक-दूसरे को बेचने लगे खाते

पीयूष खटीक ने पूछताछ में बताया कि उसने आसिफ व इफ्तेखार को 10 हजार रुपए में खाते बेचे थे। पुलिस ने हनुमानताल और गोहलपुर के रहने वाले आसिफ व इफ्तेखार को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसके बाद अंतरराज्यीय फर्जी बैंक खातों के ऑनलाइन गैंग का खुलासा हुआ। इफ्तेखार ने बताया कि उसने ये खाते झारखंड में जामताड़ा के रहने वाले अकबर अहमद और उसके दोस्त सलीम को 16 हजार रुपए में बेचे हैं। डेढ़ साल में जबलपुर और आसपास के कई जिलों के 150 से अधिक खाते अकबर अहमद व सलीम को बेचे हैं। इस तरह आरोपी एक के बाद एक लगातार खातों को दूसरे को बेच दिया करते थे।
इसलिए थी बैंक खातों की जरूरत
पूछताछ में इफ्तेखार और मोहम्मद आसिफ ने बताया कि अहमद और सलीम लंबे समय से बैंक खातों को खरीदकर ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग और ठगी के लिए उपयोग करते हैं। किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल करने के बाद जैसे ही खातों में रुपए आते थे, तो ये लोग उन खातों से रुपए निकालकर छोड़ दिया करते थे। 
राज्यों में फैले हैं। ये लोग युवा और जरूरतमंदों को निशाना बनाते हुए 4 से 6 हजार रुपए में बैंक खाते खरीदा करते थे।
ऐसे फंसाते थे आरोपी

पूछताछ में पता चला कि ये लोग सीधे-सादे लोगों को झांसा देकर दो हजार से छह हजार में खाता खुलवाते। इसके बाद उनका बैंक पासबुक, चेक बुक, बैंक डिटेल और एटीएम ले लिया करते थे।

इसके बदले में उन्हें पांच से 10 हजार रुपए दिया करते थे। आरोपियों को पता था कि बैंक खाते खुलवाने से पहले ओटीपी के लिए मोबाइल की जरूरत पड़ेगी। लिहाजा, आरोपी नई सिम भी खाताधारकों से खरीदवा लेते थे।

ASP क्राइम समर वर्मा ने बताया कि झारखंड में बैठे मास्टरमाइंड देशभर में गिरोह चलाता है। वह टीम के सदस्यों को इतना ट्रेंड कर देता था कि आसानी से लोगों को लालच देकर खाता खरीद लेते थे। प्राइवेट बैंक में आसानी से खाताधारक खाता खुलवा लेता था। प्राइवेट बैंक के खाताधारक को 2 हजार से 6 हजार और सरकारी बैंक में खाता खुलवाने के लिए 10 हजार रुपए तक देते थे। इसके बाद यही खाते जबलपुर में रहने वाले गैंग के सदस्य मास्टरमाइंड को 16 हजार प्रति खाते के हिसाब से बेच देते थे।
प्राइवेट बैंक के कस्टमर आसान शिकार
गैंग के सदस्य ज्यादातर प्राइवेट बैंक के खातों को निशाना बनाते थे, क्योंकि यहां आसानी से खाता खुलवाया जा सकता है। जांच में पता चला है कि बैंक ऑफ इंडिया, यनियन बैंक. 
एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, केनरा बैंक, आईडीएफसी बैंक, इंडियन बैंक में 150 से अधिक खाते जबलपुर में ही खोले गए हैं। इन्हीं खातों से करोड़ों का लेन-देन हुआ है। ASP क्राइम समर वर्मा ने बताया कि गिरोह के सदस्य भोले-भाले और जरूरतमंदों को शिकार बनाते थे।

अब झारखंड जाएगी जबलपुर पुलिस

अभी तक जांच में सामने आया कि ये गिरोह कई राज्यों में फैला है। जबलपुर में ही गैंग के 7 सदस्य पकड़े गए हैं। जबलपुर एसपी आदित्य प्रताप सिंह का कहना है कि गैंग में बैंक के कुछ कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। एसपी के मुताबिक जल्द ही टीम अकबर अहमद और सलीम को गिरफ्तार करने झारखंड के जामताड़ा जाएगी।

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