नगर पालिका मकरोनिया सीएमओ पर भ्रष्टाचार के आरोप, जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद कार्यवाही का अभाव
आयुक्त नगरीय प्रशासन व विकास विभाग को कार्यवाही के लिए भेजा गया पत्र
सागर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रशासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचारमुक्त शासन की बात करते हैं, लेकिन मकरोनिया नगर पालिका के सीएमओ पवन शर्मा पर लगे गंभीर आरोप और जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही न होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।
संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, सागर संभाग द्वारा पवन शर्मा को दोषी मानते हुए 20 दिसंबर 2024 को आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल को कार्यवाही के लिए पत्र भेजा गया था। बावजूद इसके, एक माह बीतने के बाद भी सीएमओ पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
क्या है मामला?
एक पत्रकार ने सीएमओ पवन शर्मा पर बिल्डिंग परमिशन के नाम पर अवैध लेन-देन का आरोप लगाते हुए एक लिखित शिकायत और वीडियो क्लिप संयुक्त संचालक सागर संभाग को सौंपी थी। शिकायत की जांच में सीएमओ को कदाचरण का दोषी पाया गया। संयुक्त संचालक ने अपनी रिपोर्ट में आयुक्त भोपाल को कार्यवाही की अनुशंसा की, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
लगातार विवादों में घिरे सीएमओ
सीएमओ पवन शर्मा के खिलाफ कई बार अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। महिला पार्षदों ने उनके कार्यों पर लापरवाही और वार्डों में विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाया। सैडमैप के टेंडर निरस्त होने के बाद भी उसी से काम कराने का मामला भी चर्चा में रहा।
सूत्रों के अनुसार, नए टेंडर जारी होने के बावजूद पुराने टेंडरधारी को ही लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा, पवन शर्मा को नगर परिषद कर्रापुर का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है, जिससे उनके राजनीतिक संरक्षण के आरोप और मजबूत हो रहे हैं।
क्यों मिल रहा है अभयदान?
संयुक्त संचालक की जांच रिपोर्ट भोपाल पहुंचने के बावजूद, सीएमओ पवन शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह स्थिति राजनैतिक संरक्षण और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की ओर इशारा करती है।
भ्रष्टाचार के इन आरोपों और कार्यवाही के अभाव से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने की सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। क्या सरकार इन आरोपों पर संज्ञान लेगी और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी, यह देखना बाकी है।
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