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क्या है नागरिकता संशोधन बिल ? आखिर क्यों हो रहा हैं इसका विरोध?

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दिल्ली: नागरिकता (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य छह समुदायों,हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। लेकिन आज हर जगह इसका विरोध हो रहा है। आखिर इस विधेयक का विरोध क्यों हो रहा है। इस बारे में हम आपको विस्तार से बातते है।नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए लोकसभा में नागरिकता विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है। देखा जाये तो एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं क्योंकि जहां एक ओर नागरिकता संशोधन विधेयक में भारतीय जनता पार्टी धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने पर विचार कर रही हैं वहीं एनआरसी में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, असम गण परिषद और तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक के विरोध में हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह 1985 के ‘ऐतिहासिक असम करार’ के प्रावधानों का उल्लंघन है जिसके मुताबिक 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी अवैध विदेशी नागरिकों को वहां से निर्वासित किया जाएगा भले ही उनका धर्म कुछ भी हो।दरअसल मामले ने तूल तब पकड़ा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने असम दौरे के दौरान लोगों को भरोसा दिलाया कि एनआरसी से कोई भी असल नागरिक नहीं छूटेगा। उन्होंने कहा कि अतीत में हुए अन्याय को दूर करने के लिए जल्द ही संसद में नागरिकता विधेयक को पारित कराया जायेगा। मोदी ने कालीनगर में ‘विजय संकल्प समावेश रैली’ को संबोधित करते हुए कहा कि वह एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के दौरान कई लोगों को हुई दिक्कतों और समस्याओं के बारे में जानते हैं।उन्होंने पूर्वोत्तर में भाजपा की लोकसभा चुनाव प्रचार मुहिम की शुरूआत करते हुए कहा, ‘‘मैं आपको आश्वासन देता हूं कि किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक के साथ अन्याय नहीं होगा। दशकों से लटकी समस्या का अब अंत होने वाला है और यह आप लोगों के त्याग के कारण संभव हो पाया है। यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं कि सभी लोगों को सुना जाए और वे प्रक्रिया में कम से कम कठिनाई का सामना करें।’’ मोदी ने कहा था, ”नागरिक (संशोधन) विधेयक, 2016 पर भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार आगे बढ़ रही है।” उन्होंने कहा, ‘‘यह (विधेयक) लोगों की जिंदगी और भावनाओं से जुड़ा है। यह किसी के फायदे के लिए नहीं है बल्कि अतीत में हुए अन्याय का प्रायश्चित करने के लिए है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने 35 वर्षों से ‘‘लटके’’ असम समझौते की धारा छह को लागू करने का निर्णय लिया है।

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