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*बाल विवाह वरदान नहीं अभिशाप*

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बंडा-:

बाल विवाह मध्यप्रदेश में ही नहीं पूरे भारत में देखने को मिलता है समाज में इस तरह के रीति रिवाज आज भी मौजूद हैं जिस कारण कहीं ना कहीं बाल अपराध जैसी समस्या उसी समाज के सामने आती है बाल विवाह उन छोटी उम्र की आने वाली पीढ़ी के साथ होने वाला अन्याय जिनके लिए वह खुद नहीं लड़ सकते क्योंकि उनका विवाह कर दिया जाता है जब उन्हें किसी बात की समझ नहीं होती बाल विवाह एक ऐसा अपराध है जिसमें एक लड़की या लड़के की जिंदगी का फैसला उनका परिवार करता है जिसमें उनके आने वाली जिंदगी में घटने वाले क्रम से उनका परिवार ही अनजान होता है कि उनका एक फैसला उनके बच्चों की आने वाली जिंदगी किस तरह से बदलाव लाएगा ऐसा ही एक मामला सागर में देखने को मिला बाल विवाह रोकने के लिए पुलिस की विशेष किशोर इकाई ने रविवार की सुबह निर्धारित से कम आयु के विवाह को रुकवाया आरक्षण ज्योति तिवारी ने बताया की पिडरूवा बंडा मैं जाकर विशेष किशोर इकाई ने 18 वर्ष की आयु के युवक विवाह रुकवाया जिसमें सुबह 3:10 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम को बाल विवाह सूचना मिलती है विशेष किशोरी इकाई ने सुबह 4:00 बजे पिडरूवा पहुंचकर बाल विवाह रोका जिसमें लड़के की उम्र 18 वर्ष लड़की की उम्र 20 वर्ष थी उन्होंने बताया कि उनकी टीम जिस वक्त शादी में पहुंची थी जयमाला हो चुकी थी जिस कारण लड़की पक्ष को समझा पाना बहुत ही मुश्किल था जिसमें ज्योति तिवारी लड़की को समझाइश दी और लड़की पक्ष को शांत किया विवाह रुकवाने के बाद माहौल खराब ना हो इसलिए विशेष इकाई टीम लड़के को बंडा जहां का, वह रहने वाला है उसके घर तक छोड़कर आए इसमें ज्योति तिवारी और उनकी विशेष इकाई की टीम सराहनीय कार्य किया

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