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तीन अधिकारियों के समन्वय ने बचाई 17 नवजातों की जान

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इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अधिकारी की इंजीनियरिंग आई काम

सागर:- बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में अचानक हाई वोल्टेज होने के कारण गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में भर्ती 17 नवजात शिशुओं की जान तक खतरे में पड़ गई जब एसएनसीयू के उपकरण अचानक विद्युत आपूर्ति के कारण बंद हो गए। सूचना मिलते ही बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष एवं सागर संभाग के कमिश्नर मुकेश शुक्ला, कलेक्टर दीपक सिंह ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नगर निगम कमिश्नर आरपी अहिरवार को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज स्थिति का जायजा लेने भेजा।

नगर निगम कमिश्नर आरपी अहिरवार, उपायुक्त डॉ प्रणयकमल खरे के साथ रात्रि 12 बजे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के गहन चिकित्सा इकाई में पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने देखा कि विद्युत आपूर्ति पूर्णतः बंद थी जिसकी सूचना उन्होंने कमिश्नर मुकेश शुक्ला, कलेक्टर दीपक सिंह को दी।नगर निगम कमिश्नर अहिरवार जो कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के डिग्रीधारी हैं, द्वारा गहन चिकित्सा ईकाई की विद्युत आपूर्ति की जांच प्रारंभ की गई। जांच उपरांत उन्होंने बीएमसी के तकनीकी कर्मचारियों से भी जानकारी भी प्राप्त की। किंतु विद्युत आपूर्ति प्रारंभ नहीं हो पाई। तब उन्होंने स्वयं अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर होने का हुनर दिखाते हुए समस्त फ्यूजों का परीक्षण किया और जनरेटर कक्ष में जाकर जनरेटरों को प्रारंभ कराया। जो फ्यूज हाई बोल्टेज के कारण खराब हो गए थे, उनको बड़ी जद्दोजहद के बाद ठीक किया गया। फ्यूज ठीक होने के पष्चात कुछ विद्युत आपूर्ति बहाल हो पाई।

चूँकि मामला गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती 17 नवजात शिशुओं का था। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देकर उनके निर्देशों पर नगर निगम कमिश्नर अहिरवार ने बीएमसी के षिषु रोग विषेषज्ञ डा. आशीष जैन के साथ उपायुक्त डा. प्रणय कमल खरे जो कि स्वयं भी डाक्टर है, के सहयोग से जिला चिकित्सालय के गहन चिकित्सा ईकाई में अर्धरात्रि में भर्ती कराया।
संभागायुक्त मुकेष शुक्ला तथा कलेक्टर दीपक सिंह संपूर्ण व्यवस्थाओं पर नजर रखते हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति सामान्य होने तक लगातार सभी के संपर्क में रहे।

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