72 घंटे अकेले लड़ कर 300 सैनिक करे ढेर
अकेले 72 घँटे लड़कर 300 चायनीज सैनिकों को ढेर कर शहादत पाने वाले इस वीर सैनिक का तांबे का सिर बनाकर चाइना ने भी इनकी वीरता को नमन किया था और उसके बाद भारतीय सेना इनके अदम्य साहस और वीरता को सहेजे इनके मंदिर में हर रोज समय समय पर खाना-चाय-पानी इन्हें भेंट करती है ओर हर रोज इनके वर्तन साफ होते हैं और बिस्तर बदला जाता है।यही नहीं इन्हें समय समय पर सेना से प्रमोशन भी मिलती है ओर इस वक़्त यह लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर हैं।सैनिकों की एक टुकड़ी हर रोज इन्हें सलूट करती है।इनका नाम है जसवंत सिंह रावत।उत्तराखंड के जसबंत पुर के रहने वाले थे इस गांव का नाम इन्हीं के नाम पर है ओर जिस स्थान पर यह वीर शहीद हुए उस जगह का नाम जसबंत गढ़ पड़ गया।सेना में यह राइफल मेन के तौर पर भर्ती हुए थे।इन्हें अभी एक साल ही सेना में भर्ती हुए हुआ था कि 1962 की जंग छिड़ गई।यह अकेले 72 घँटे मोर्चा संभाले रहे और तीन सौ चाइनीज सैनिकों को मार गिराया।इनके साथ दो सिपाही त्रिलोक सिंह नेगी ओर गोपाल सिंह गोसाइँ भी थे वो दोनों वीर पहले शहीद हुए।त्रिलोक सिंह नेगी ओर गोपाल सिंह के शहीद होने के बाद दो बहनों नूरा ओर सेला ने इनका साथ दिया।सेला शहीद हो गई और नूरा को चायनीज़ सेना ने बंदक बना लिया लेकिन जसबंत सिंह जी बहादुरी से अकेले 72 घँटे दुश्मन से लड़ते रहे और चीन की सेना को पता भी नहीं चला कि यह अकेले लड़ रहे हैं।इस युद्ध को Battle of Nooranang के नाम से जाना जाता है जो कि अरुणाचल प्रदेश में पड़ता है।चाइना ने जसवंत सिंह जी की बहादुरी का लोहा मानते हुए इन्हें सम्मान दिया।
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