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किसान बिल पर बवाल:कमलनाथ ने कहा- शिवराज सरकार किसानों के साथ या उनके विरोध में; कमल पटेल का जवाब- फसल बीमा की 1553 करोड़ के नुकसान की भरपाई सोनिया करेंगी या कमलनाथ

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केंद्र सरकार के किसान बिल पर मध्य प्रदेश में भी पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। कमलनाथ ने बिल को किसान विरोधी बताया है।

  • किसान बिल पर मध्य प्रदेश में सियासत, पूर्व सीएम कमलनाथ और कृषि मंत्री कमल पटेल आमने-सामने आए
  • प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि भाजपा की सरकारें जो भी अच्छा काम करती हैं, उसका विरोध करना ही कांग्रेस का एजेंडा है

मोदी सरकार के किसानों के लिए लाए गए अध्यादेश को किसान और खेतिहर मजदूर विरोधी बताते हुए कमलनाथ ने इस दिन को काले दिवस के रूप में दर्ज होने की बात कही है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार स्पष्ट करे कि वो किसानों के साथ है या इन किसान विरोधी काले क़ानून के साथ? प्रदेश का किसान इस सच्चाई को जानता चाहता है कि कौन उसके साथ है और कौन किसान विरोधी काले क़ानून के साथ?

इसके जवाब में प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि पटेल ने कहा कि प्रदेश के किसानों को हुए इस नुकसान को लेकर मैंने सोनिया जी को पत्र लिखा है और उनसे पूछा है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कारण प्रदेश के किसानों को जो 1553 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कमलनाथ जी करेंगे या आप करेंगी।

केंद्र सरकार पुरानी जमींदारी प्रथा वापस लाना चाहती है
मोदी सरकार के अध्यादेश में किसानों की सहमति नहीं ली गई। अन्य राजनैतिक दलों से चर्चा भी नहीं की गई। मोदी सरकार तानाशाही तरीक़े से देश को चलाना चाहती है। पुरानी ज़मींदारी प्रथा वापस लाना चाहती है। वादा किसानों की आय दोगुनी का किया था लेकिन भाजपा सरकार किसानों की रोज़ी-रोटी छिनना चाहती है। देश भर के किसानों की इस लड़ाई को कांग्रेस लड़ेगी। सदन से लेकर सड़क तक कांग्रेस किसानों के हित में इस काले कानून के विरोध में संघर्ष करेगी।

कांग्रेस भ्रम फैलाना बंद करे: कमल पटेल
प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि भाजपा की सरकारें जो भी अच्छा काम करती हैं, उसका विरोध करना ही कांग्रेस का एजेंडा है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यही बातें कही थीं, जो हमारी केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए पारित कराए गए दोनों विधेयकों में है। कांग्रेस किस बात का विरोध कर रही है? मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इन विधेयकों के पारित होने से ना मंडियां बंद होने वाली हैं और ना ही समर्थन मूल्य पर खरीदी बंद होगी। इनसे तो बस किसानों को ये आजादी मिली है कि वे अपनी उपज जिसे चाहें बेच सकें, जहां चाहें बेच सकें।

किसानों के नुकसान की पूर्ति कमलनाथ करेंगे या सोनिया
पटेल ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2018 का फसल बीमा किसानों को नहीं दिलाया। हमारी सरकार ने आने के बाद 2200 करोड़ रुपये की प्रीमियम जमा कराके वर्ष 2019 के फसल बीमा की राशि किसानों के खातों में पहुंचाई है। लेकिन किसानों को कम पैसा इसलिए मिला है, क्योंकि कमलनाथ सरकार ने बीमा की स्केलिंग घटाकर 75 फीसदी कर दी थी, ताकि उसे फसल बीमा के लिए ज्यादा पैसा न मिलाना पड़े।

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