काव्या धारा मंच की ऑनलाइन गोष्टी आयोजित
ग्वालियर/ मध्य प्रदेश काव्य धारा मंच के तत्वाधान में दीपोत्सव के पावन अवसर पर काव्य धारा मंच के अध्यक्ष नयन किशोर श्रीवास्तव द्वारा एक ऑनलाइन कवि गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें समस्त काव्य मनीषियों ने दीपोत्सव के अवसर पर अपनी-अपनी रचनाएं दिवाली की शुभकामना के साथ प्रेषित की

कवि वेलन ग्वालियरी कुछ इस तरह कहा-
हम उजालों की यहां पर अब सुने किलकारियां ।
दीप खुशियों के जलाकर फिर मन में दिवालिया।
डॉ दीप्ति गौड़ ने कुछ इस तरह कहा-
मन की देहरी अक्षत कुमकुम मेंहका जैसे चंदन चंदन दीप प्रकाशित तुलसी पावन और रंगोली सजेती आंगन।
गीतकार अनिल भारद्वाज ने कहा-
कुछ नहीं मांगते इंसान या देवता से कभी, फिर भी त्यौहार मनाते हैं यह मिट्टी के दिया।
डॉक्टर रागिनी शर्मा ने कुछ इस तरह कहा-
सजा मंगल कलश ले हम मिटे मन का तमश सारा। रखें मन में बुद्धि ज्योतिर्मय प्रकाशित हो ह्रदय प्यारा।
कार्यक्रम के आयोजक एवं अध्यक्ष नयनकिशोर श्रीवास्तव ने कहा-
आओ मिलकर दीप जलाएं रोशन कर गुलशन में महकाएं।
लक्ष्मी मैया घर आएंगी पूजा बंधन बार सजाएं।
डॉ विजय करुण ने कुछ इस तरह कहा-
दीप बुझा के चले न जाना प्यार मुझे आवाज लगाना दीप बुझा दो देखो दिलबर बुझे बुझे मन जीना मुश्किल।
वरिष्ठ गीतकार प्रदीप प्रति पुष्पेंद्र ने कुछ इस तरह कहा-
नेहा की बाती बढ़ाते यदि रहोगे ,दीप यह भी रात भर चलता रहेगा।
कवियत्री दीप ज्योति गुप्ता ने कुछ इस तरह कहा-
आओ मन का दीप जलाएं नवदीपो में नवज्योति से सागर के सच्चे मोती से जीवन मेंहकाए।
सुप्रसिद्ध गजल कार रोशन मनीष ने कुछ इस तरह कहा-
अंधकार माना कि घना है दीया जलाना कहां मना है फिर प्राणों का दीप जलाएं आओ दीपावली मनाएं।
कवियत्री कामनी पांड्या ने कुछ इस तरह कहा-
उन्नति हो खुशहाली हो तो चारों दिवाली हो।
जगमग जगमग रोशन हो जब तभी समझो दिवाली हो।
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