नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भादवि की धारा-376 (क)(ख) के तहत आजीवन कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-376 (2)(एफ) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पॉक्सों एक्ट की धारा-5/6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी वृंदा चौहान ने की
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 06.01.2023 को पीडिता की मां ने पुलिस थाना में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि लगभग एक साल पहले उसका और अभियुक्त का आपसी विवाद होने से वह अपनी तीन संतानों में से 8 वर्षीय बडी पुत्री (पीडिता) तथा छोटे पुत्र को लेकर इंदौर चली गयी थी, जिसके पश्चात अभियुक्त इंदौर आया और इंदौर में उसके साथ विवाद कर उसे छोडकर उसके दोनों बच्चों को अपने साथ लेकर आ गया। इसके लगभग 06 माह बाद मोबाईल से उसे पीडिता का फोन आया और उसने कहा कि उसे यहां से ले जाओ, उसे आरोपी के साथ नहीं रहना, तब उसने दोनों बच्चों को अपने पास बुलवा लिया जहां पीडिता ने उसे बताया कि घर में रात के समय अभियुक्त उसके साथ गलत काम करता था, बदनामी के कारण उसने यह बात किसी को नहीं बतायी । उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना द्वारा 376(ए)(बी), 376(2)(च),376(2)(एन) भा.दं.सं. एवं धारा 3/4, 5/6 पाक्सो एक्ट का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।
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