समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे लाभ, तभी होगा ग्रामीण विकास - प्रहलाद पटेल


समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे लाभ, तभी होगा ग्रामीण विकास - प्रहलाद पटेल

सागर। 
राज्य शासन पारदर्शिता और सकारात्मक व्यवस्था के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में जन कल्याणकारी निर्णय लेना और उनका समय सीमा में क्रियान्वयन कराना हमारी कार्य नीति की प्राथमिकता बन चुका है। प्रशासनिक गतिरोध दूर कर, योजनाओं का लाभ जब समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचेगा तभी सही मायने में ग्रामीण विकास होगा। यह बात पंचायत एवं ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने उनके निज निवास में संवाद कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में प्रदेश के समस्त जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों से मंत्री श्री पटेल ने प्रथम संवाद व भेंट की। इस दौरान विधायक भगवान दास सबनानी, सागर जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत,  देवेंद्र फुस्केले, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संचालक सह आयुक्त केदार सिंह, मनरेगा आयुक्त चेतन आनंद, उपस्थित रहे। कार्यक्रम में उपस्थित जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों द्वारा प्रशासनिक अवरोध दूर करने तथा विकास के कार्यों में सुगमता लाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
मंत्री पटेल ने जन-प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए सुझावों को सुना एवं उन्हें आश्वासन दिया कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों को अमल में लाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में सभी ने अपने अधिकारों की बात कही लेकिन समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि हम अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों की भी बात करें।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वे दो दिवस की कार्यशाला का आयोजन लोकसभा चुनाव के बाद करेंगे। इस कार्यशाला में व्यापक रूप से जमीनी स्तर पर विकास को पहुंचाने के लिए विस्तृत चर्चा की जाएगी।  

हमें पंचायत राज अधिनियम के अधिकार दिए जाएं  -  राजपूत

संवाद कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए जिला पंचायत संघ के अध्यक्ष एवं सागर जिला पंचायत के अध्यक्ष  हीरा सिंह राजपूत ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की विकसित भारत की संकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत हम सभी निर्वाचन प्रतिनिधियों को अधिकार दिए जाएं जिससे प्रदेश की विकास में हम अपना योगदान दे सकें ।  

यह है जिला पंचायत अध्यक्षों की मांगे :

पंचायत मंत्री को सौंपी गई मांगों में जिला पंचायत अध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा देने के बाद भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है जिसके संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए जाएं, जिले में 50 लाख प्रति विधानसभा के मान से जिला पंचायत अध्यक्षों को राशि प्रदान की जावे, जिससे जिले में भ्रमण के समय मांग के अनुसार विकास कार्य सूचित किया जा सके, जिला पंचायत के अधीन आने वाले विभागों पर प्रशासकीय एवं वित्तीय नियंत्रण जिला पंचायत में समाहित हो तथा अध्यक्ष के अनुमोदन पर ही गतिविधियों का क्रियान्वन किया जाए, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की सीआर लिखने का अधिकार अध्यक्ष के पास निहित हो,  जिला पंचायत में पदस्थ सीईओ, एपीओ तथा ऐसे अधिकारी जिनकी नियुक्ति शासन द्वारा की गई है और वह जिला पंचायत में कर रहे थे उनके वेतन भत्ते राज्य शासन द्वारा नियमित रूप से दिए जाएं, ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत जिले के सभी तृतीय वर्ग श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानांतरण एवं कर्मचारियों की रिक्त पदों पर पदोन्नति तथा सीधे भरने का अधिकार जिला पंचायत को सौंप जाए , प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर राज्य सरकार के मंत्री द्वारा राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण नहीं करने की स्थिति में उन जिलों में जिला पंचायत अध्यक्षों को ध्वजारोहण करने हेतु अधिकृत किया जाए, जिला पंचायत अध्यक्ष का परिचय पत्र सांसद, विधायक की तरह जारी कर मान्यता प्रदान की जाए, सभी जिला पंचायत अध्यक्षों की आवास एवं सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

जिला पंचायत उपाध्यक्षों ने भी मांगा राज्य मंत्री का दर्जा :

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संघ की ओर से सागर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ठाकुर ने अपनी मांग तथा सुझाव देते हुए कहा कि जिला पंचायत उपाध्यक्षों को भी पूर्व की भांति राज्य मंत्री का दर्जा वापस दिया जाए, जिला पंचायत उपाध्यक्षों को संपूर्ण कार्य क्षेत्र में विकास करने के लिए 2.50 करोड़ की वार्षिक विकास निधि प्रदान की जाए, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष को जिला योजना समिति का सदस्य माना जाए तथा जिला पंचायत खनिज प्रतिष्ठान मद में भी सदस्य माना जाए,  जिला पंचायत उपाध्यक्ष का मासिक मानदेय एवं क्षेत्रीय भ्रमण और अन्य भत्ते मिलाकर 75000 किया जाए, जिला पंचायत उपाध्यक्ष को जिला मुख्यालय में जिला पंचायत अध्यक्षों की तरह आवास सुविधा और कार्य की दृष्टि से स्थायी निज सचिव प्रदान किया जाए, जिला पंचायत उपाध्यक्ष को क्षेत्र की जरूरत और नागरिक की सहायता हेतु 25000 की स्वैच्छिक सहायता निधि का प्रावधान किया जाए, जिला पंचायत उपाध्यक्ष को स्थाई समिति के सचिव का चरित्र प्रमाण पत्र लिखने का अधिकार भी प्रदान किया जाए, जिला पंचायत उपाध्यक्ष स्थाई समिति शिक्षा समिति का सभापति भी होता है इसलिए इस समिति के अंतर्गत आने वाले समस्त विभागों में कार्य जिले के अधिकारियों कर्मचारियों के स्थानांतरण, शाखा वितरण एवं प्रत्युक्ति में एवं प्रतिनियुक्ति में जिला पंचायत उपाध्यक्ष की अनुशंसा आवश्यक रूप से शामिल की जाए।

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